अकादमी ने 5 अगस्त, 2008 को 'बिदेसिया' जो कि प्रख्यात भोजपुरी लोकसर्जक भिखारी ठाकुर की रचना है, का मंचन कराया, जिसका निर्देशन संजय उपाध्याय ने किया। 6 अगस्त, 2008 को मैथिली नाटक 'पाठक लोक' (निर्देशनः प्रकाश झा) का मंचन हुआ। इसके अतिरिक्त सांस्कृतिक कार्यक्रम भी सम्पन हुए।
अकादमी ने 24 दिसम्बर, 2008 को राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान (डिम्ड विश्वविद्यालय), दिल्ली में 'पुरबिया मनई आ साहित्य : नयकी चुनौती' शीर्षक संगोष्ठी का आयोजन किया। इसकी अध्यक्षता डॉ० केदार नाथ सिंह ने की, जबकि आतिथ्य श्री केशव चंद्र(अतिरिक्त सचिव,संस्कृति व विशिष्ट सचिव, मुख्यमंत्री, दिल्ली) का रहा। प्रतिभागी थे- श्री जयशंकर गुप्त तथा डॉ० रामाशंकर श्रीवास्तव। इसमें भोजपुरी व मैथिली जनों प्रवासियों के जीवन व साहित्य संस्कृति के विभिन्न प्रसंगों पर गहन चर्चा हुई।
अकादमी ने 20 जनवरी, 2009 को गणतंत्र दिवस-उत्सव का आयोजन किया। इसकी अध्यक्षता प्रसिद्व आलोचक प्रो० नित्यानंद तिवारी ने की। यह एक नए तरह का आयोजन था, जहॉँ विशाल जन-समूह के सम्मुख देश में पहली बार समकालीन गंभीर कविताएँ पढ़ी गयीं, जिनका न केवल श्रव्य महत्व है, बल्कि पाठ्य भी। ये कविताएँ आस्वाद से आगे हमें ले जाती हैं। मैथिली में कविता पाठ करने वाले कवि थे- श्री रवींद्र नाथ ठाकुर, डॉ० गंगेश गुंजन, श्री रमण कुमार सिंह, श्री रवींद्र लाल दास, श्री सारंग कुमार, डॉ० कामिनी कामायनी तथा भोजपुरी में कविता पाठ करने वाले थे- डॉ० चंद्रदेव यादव, प्रो० शत्रुघ्न कुमार, श्री मनोज भावुक, श्री प्रमोद तिवारी तथा सुश्री अलका सिन्हा। मुख्य अतिथि थीं- दिल्ली सरकार की कला, संस्कृति एवं भाषा मंत्री श्रीमती किरण वालिया।
साहित्य अकादमी से सम्मानित साहित्यकार श्री मंत्रेश्वर झा का एकल कविता-पाठ 19 फरवरी, 2008 को किया गया। श्री मंत्रेश्वर झा ने इस अवसर पर कविता-पाठ के अलावा अपनी संरगृतियॉ भी सुनाई। अध्यक्षता डॉ० गंगेश गुंजन की थी।
अकादमी ने 15, 16, 17 एवं 18 मार्च, 2009 को ‘लोक संस्कृति प्रसंग’ का आयोजन किया। इसमें 15 मार्च को भोजपुरी भाषा में धोबियउ व कॅहरउ नाच का आयोजन किया गया। यह अपने तरह का दिल्ली में प्रथम प्रयास था। विशिष्ट अतिथि प्रख्यात नृत्यांगना डॉ० शोभना नारायण थीं। 16 मार्च को थारू जनजाति के नाच का आयोजन किया गया। थारू जनजाति ने प्रथम बार दिल्ली में यह प्रस्तुति दी थी। विशिष्ट अतिथि (कला, संस्कृति, भाषा व शिक्षा सचिव, दिल्ली) श्रीमती रीना रे थीं। 17 मार्च को मैथिली का सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हुआ, जो 'रंगभूमि' की ओर से था। विशिष्ट अतिथि प्रख्यात गायिका श्रीमती सविता देती थीं। 18 मार्च को मैथिली का सांस्कृतिक नृत्य नाटक 'जट जटिन' मंचित हुआ, जिसकी प्रस्तुति ‘स्मृति ट्रस्ट’ की ओर से हुई। विशिष्ट अतिथि प्रख्यात ध्रुपद गायक श्री अभय नारायण मल्लिक थे।
रात्रि समय संजय चौधरी निर्देशित मैथिली नाटक का मंचन हुआ, जिसका शीर्षक था- 'किंकर्तव्यविमूढ़'। यह नाटक हमारे समय की त्रासदी को अन्यतम ढंग से बयॉ करता है। विशिष्ट अतिथि थे- प्रो० देवेन्द्र राज अंकुर।
इस द्विदिवसीय संगोष्ठी में साहित्य व संस्कृति पर गहरी चर्चा हुई तथा साहित्य के ऐसे प्रश्न भी चर्चित हुए, जो अन्यथा अनुद्घाटित थे।
इस वित वर्ष अकादमी के द्वारा 8 गैर सरकारी संस्थाओं को कार्यक्रम करने में सहयता की गई जिनके द्वारा साहित्यिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम किये गये।
मैथिली-भोजपुरी की 130 पुस्तकों का क्रय इस वित्त वर्ष में किया गया।
28 मार्च व 29 मार्च को अकादमी ने अत्यंत विशिष्ट संगोष्ठियॉ आयोजित की। ये संगोष्ठियॉ राष्ट्रीय थीं तथा उनका विषय साहित्य व संस्कृति के महत्वपूर्ण विषयों में नया उन्मेष लाने वाले थे। भोजपुरी की राष्ट्रीय संगोष्ठी का विषय था- 'समकालीन सर्जनात्मकता आ साहित्य' तथा 'समकालीन सर्जनात्मकता आ संस्कृति'। यह संगोष्ठी दो सत्रों में थी। उद्घाटन किया- प्रख्यात आलोचक व सरस्वती सम्मान विजेता श्री षम्सुर्रहमान फार्रूकी ने। अन्य प्रतिभागी थे- श्री गोपेश्वर सिंह, श्री रवीन्द्र श्रीवास्तव, 'जुगानी भाई', डॉ० नागेंद्र प्रसाद सिंह, डॉ० सिद्धार्थ शिवशंकर, दूसरे सत्र में प्रतिभागी थे- डॉ० तैयब हुसैन पीड़ित, प्रो० वागीष शुक्ल, डॉ० प्रेम प्रकाश पाण्डेय। अध्यक्षता की डॉ० आशा रानी लाल ने। रात्रि में महेंद्र प्रसाद सिंह के निर्देशन में भोजपुरी नाटक ‘कचोट’ का मंचन हुआ। विशिष्ट अतिथि थे- श्री सुरेंद्र कौल, महानिदेशक, सी०सी०आर०टी०। यह नाटक नागरिक चेतना को जगाता है। दूसरे दिन 29 मार्च, 09 को मैथिली की राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘समकालीन रचनाकारक दायित्व : भाषा, साहित्यक संदर्भ में’ तथा ‘समकालीन रचनाकारक दायित्व’ समाज, संस्कृति संदर्भ में विषयों पर दो सत्रों में आयोजित की गयी। सत्रों के प्रतिभागी थे- डॉ० विद्यानाथ विदित, डॉ० शेफालिका वर्मा, डॉ० देव शकर नवीन ‘नवीन’, डॉ० नीता झा, श्री कुमार शैलेंद्र, श्री प्रदीप बिहारी, डॉ० मोहन भारद्वाज। डॉ० 'विदित' व 'भारद्वाज' ने क्रमशः प्रथम व द्वितीय दो सत्रों की अध्यक्षता की। समकालीनता सिर्फ कालवाची नहीं है तथा रचनाकार का दायित्व मनुष्यता का विस्तार है।
30 अगस्त, 2009 को इण्डिया इंटरनेश्नल सेंटर, नई दिल्ली में ‘मैथिली-भोजपुरी भाषा-भाषियन के योगदान’ विषय पर संगोष्ठी आयोजित हुई, जिसकी अध्यक्षता प्रख्यात आलोचक प्रो० निर्मला जैन ने की। विशिष्ट अतिथि थे- श्री सजय गुप्त, संपादक, दैनिक जागरण। वक्ता थे- डॉ० शेफालिका वर्मा, श्री वीरेन्द्र कुमार बरनवाल, श्री जयशंकर गुप्त तथा श्री रवींद्र कुमार दास। सान्निध्य अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ० गिरीश चंद्र श्रीवास्तव का था।
30 सितंबर, 2009 को राजेंद्र भवन, नई दिल्ली में 'गद्य प्रसंग' का आयोजन किया गया, जिसमें गद्य की विभिन्न विधाओं में प्रतिभागियों ने पाठ किया। प्रतिभागी थे- सुश्री कामना झा (मैथिली कहानी), डॉ० सतीश यादव(भोजपुरी संस्मरण), मानवर्द्धन कण्ठ (मैथिली रिपोर्ताज), श्री दिनेश कुमार (भोजपुरी आलोचना-निबंध), विशिष्ट अतिथि थे- कवि, अनुवादक श्री अक्षय कुमार।
19 अक्टूबर, 2009 को पूर्वा सांस्कृतिक केन्द्र, लक्ष्मीनगर, दिल्ली में छठ व सांस्कॄतिक संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें छठ व भोजपुरी लोकगीत का गायन प्रख्यात गायिका सुश्री रश्मि अग्रवाल ने किया। मैथिली के कवि विद्यापति व गोविन्द दास के पद पर कविता ठाकुर ने कथक नृत्य की प्रस्तुती की।
26 अक्टूबर, 09 को त्रिवेणी सभागार में कव्वाली का आयोजन किया गया, जिसमें निराला की भोजपुरी कविता और कबीर, अज्ञेय, धर्मवीर भारती, हरिवंशराय बच्चन, राजकमल चौधरी, अमीर खुसरो, गालिब आदि की रचनाओं पर आधारित थी। हिन्दी और मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली ने अपनी तरह के अनुठे और संभवत: विश्व में पहली बार हुए इस प्रयोग में इन महत्वपूर्ण कवियों की रचनाओं को कव्वाली के रूप में प्रस्तुत किया। दिल्ली के प्रसिद्ध कव्वाल अब्दुर्रहमान ने भिन्न-भिन्न रचनाओं को कव्वाली के रूप में प्रस्तुत किया।
मैथिली-भोजपुरी अकादमी एवं हिन्दी अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में साहित्य से संबंध रखने वाली, लेकिन धीरे-धीरे गायब हो रही विभिन्न प्रदर्शनकारी कलाओं को मंच प्रदान करने के उद्देश्य से 26 अक्टूबर, 2009 को हाथरस शैली की नौटंकी का मंचन त्रिवेणी सभागार में किया। शिकोहाबाद उत्तर-प्रदेश से आई श्रीमती कृष्णा माथुर और उनके साथियों ने ‘इंदल हरण’ नौटंकी की प्रस्तुति दी। ‘परिचय दास’ जो स्वयं गायक, कवि- आलोचक हैं, उन्होंने कार्यक्रम के आरम्भ में दोहा व बहर-ए-तबील में गायन करके कार्यक्रम को संगीतिक गति प्रदान की।
मैथिली भोजपुरी अकादमी, दिल्ली द्वारा ‘‘समकालीन कला-संगोष्ठी’’ का आयोजन 29 नवम्बर, 2009 को राजेन्द्र भवन दिल्ली में किया गया। जिसमें सुविख्यात वक्ता श्री विनोद भारद्वाज, मिथीलेश श्रीवास्तव, विनय कुमार एवम् राष्ट्रीय सहारा के कला संपादक श्री रवीन्द्र कुमार दास थे।
मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली द्वारा ‘’सांस्कृतिक कार्यक्रम’’ का आयोजन 9 जनवरी, 2010 को रोहिणी, दिल्ली में किया गया। इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में सुश्री अंजु झा एवम् बबलू सिंह का गायन एवम् नर्तन हुआ।
मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली द्वारा गणतंत्र-दिवस ‘कविता उत्सव’ का आयोजन 24 जनवरी, 2010 को आई०सी०सी०आर० सभागार में किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रीमती किरण वालिया ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया और वरिष्ठ कवि प्रो० केदारनाथ सिंह जी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। मैथिली व भोजपुरी भाषा बोलने वाले लोगों की स्मृति व इच्छा की रक्षा करने के लिए कविता उत्सव प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस पर किया जाता है। इस अवसर पर मैथिली में शेफालिका वर्मा, गंगेश गुंजन, सुष्मिता पाठक, तारानंद वियोगी, रमण कुमार सिंह, कामिनी कामायनी, रवीन्द्रलाल दास, पंकज पराशर, सारंग कुमार, मंजर सुलेमान और भोजपुरी में जुगानी, हरिराम द्विवेदी, चंद्रदेव यादव, कुबेर नाथ मिश्र ‘विचित्र’, शत्रुघ्न कुमार, राधेश्याम तिवारी, महेन्द्र सिंह, प्रमोद तिवारी, अलका सिन्हा, प्रकाश उदय, मनोज भावुक, कमलेश राय कविता पाठ हेतु आमंत्रित थे। श्रोता से खचाखच भरे हॉल में देर रात तक कविता उत्सव चलता रहा।
मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली द्वारा भोजपुरी नाटक ‘लुटकी बाबा के रामलीला’ का मंचन भाई वीर सिंह मार्ग पर स्थित बांग्ला सांस्कृतिक केन्द्र में 06 मार्च, 2010 को किया गया। भोजपुरी नाटक ‘लुटकी बाबा के रामलीला’ के लेखक व निर्देशक श्री महेन्द्र प्रताप सिंह थे। इस नाटक की प्रस्तुति ‘रंगश्री संस्था’ द्वारा किया गया। यह नाटक भोजपुरी भाषा की अश्लीलता को चंगुल से निकालने के लिए एक गांव के प्रयास को दिखा रहा था। इस नाटक के चुटीले संवाद को बेहद पसंद किया गया।
मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली द्वारा मैथिली नाटक ‘टुस्सा आ बाझी’ का मंचन भाई वीर सिंह मार्ग पर स्थित बांग्ला सांस्कृतिक केन्द्र में 07 मार्च, 2010 को किया गया। मैथिली नाटक ‘टुस्सा आ बाझी’ के लेखक श्री प्रभास कुमार चौधरी हैं एवं निर्देशक श्री संजय चौधरी थे। इस नाटक की प्रस्तुति ‘मिथिलांगन संस्था’ द्वारा किया गया। इस नाटक के द्वारा गांव के पंचायत में गरीब के हक के लिए संघर्ष का संदेश दिया गया। इस नाटक के चुटीले संवाद को बेहद पसंद किया गया।
मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली ने 28 मार्च, 2010 को मैथिली-भोजपुरी गायन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का एक विशाल कार्यक्रम हंस ध्वनी थियेटर, प्रगति मैदान, दिल्ली में किया। शाम के 6.30 बजे शुरू हुए इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि, प्रसिद्ध अभिनेता एवं एंकर शेखर सुमन थे। उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि भाषा अपनी जड़ होती है और उसे कभी कमजोर नहीं होने देना चाहिए। इस अवसर पर उन्होंने कुछ मैथिली और कुछ हिन्दी गीत सुनाये। कार्यक्रम के प्रारंभ में अकादमी के सचिव प्रो० रवीन्द्रनाथ श्रीवास्तव ‘परिचय दास’ ने कहा कि मैथिली-भोजपुरी अकादमी सूरुचिपूर्ण सांस्कृतिक कार्यक्रमों से मैथिली-भोजपुरी के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में आये भोंड़ेपन और अश्लीलता के आरोप को खत्म कर देना चाहती है। उन्होंने विशाल जनसमूह को धन्यवाद दिया और कहा कि आप सभी कि उपस्थिति से हमें ताकत मिली। भविष्य में भी इस तरह का कार्यक्रम करेंगे। सुप्रसिद्ध गायिका पद्ममश्री श्रीमती शारदा सिन्हा ने कार्यक्रम की शुरूआत विद्यापति के रचनाओं से की। श्रोताओं की मांग पर भी अनेकों गीत प्रस्तुत किए। अंत में श्रीमती मालिनी अवस्थी ने अपने साथी कलाकारों के साथ मिलकर गायन एवं नृत्य से श्रोताओं का भरपुर मनोरंजन किया। उन्होंने मॉं ज्वाला देवी की स्तुति गीत के बाद सोहर, बन्ना-बन्नी गीत, धोबिया गीत, चैता एवं होली गीत प्रस्तुत किये।
मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली द्वारा आयोजित ‘रंगपूर्वी’ राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी के उद्घाटन दिल्ली के माननीय मुख्यमंत्री एवं अकादमी की अध्यक्ष श्रीमती शीला दीक्षित ने किया। इस अवसर पर माननीय मुख्यमंत्री के साथ प्रसिद्ध अभिनेता श्री शेखर सुमन भी उपस्थित थे। इस अवसर पर मैथिली-भोजपुरी अकादमी की त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका ‘परिछन’ के प्रथम अंक एवं प्रदर्शनी के कैटलॉग ‘रंगपूर्वी’ का विमोचन किया। ललितकला अकादमी के रवीन्द्र भवन में आयोजित यह चित्रकला प्रदर्शनी 29 मार्च से 4 अप्रैल, 2010 तक हुई। इस प्रदर्शनी में 43 कलाकारों के चित्र, मूर्ति, इंस्टालेशन, फोटोग्राफ्स आदि प्रदर्शित किये गये।
मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली द्वारा गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिनांक: 24 जनवरी, 2011 को कविता-उत्सव का आयोजन आई०सी०सी०आर० सभागार, आजाद भवन, आई०पी० एस्टेट (आई०टी०ओ०) नयी दिल्ली में किया गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि दिल्ली की भाषा, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास मंत्री डॉ० किरण वालिया ने गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं देते हुए देशवासियों से गणतंत्र को जिंदा रखने की अपील की।
मैथिली-भोजपुरी अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ० गिरीश चन्द्र श्रीवास्तव ने मैथिली-भोजपुरी भाषा के सांस्कृतिक योगदान पर बल देते हुए गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं दी।
मैथिली-भोजपुरी अकादमी के सचिव प्रो० रवीन्द्रनाथ श्रीवास्तव 'परिचय दास' ने कहा संग्राम के समय कवियों की कविताएं ही थी जिन्होंने देश को एक सूत्र में बांधा। कविता का गणतंत्र स्वाधीनता की लय है। कविता में ठहरकर हम समाज व स्वयं को निहारते हैं।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में मैथिली-हिन्दी की जानी-मानी कवयित्री श्रीमती शांति सुमन ने कहा कि गणतंत्र दिवस के अवसर इस प्रकार के कविता-उत्सव कार्यक्रम देशवासियों में राष्ट्रीय भावना पैदा करते हैं। उन्होंने कवि और कविता के महत्व को भी रेखांकित किया।
कविता-उत्सव का संचालन वरिष्ठ कवि श्री रवीन्द्र श्रीवास्तव 'जुगानी' ने किया।
इस अवसर पर जहां मैथिली भाषा के इस अवसर पर कामिनी कामायनी, कुमार शैलेन्द्र, कुमार मनोज कश्यप, गंगेश गुंजन, राम लोचन ठाकुर, रवीन्द्र लाल दास, शेफालिका वर्मा और सुकांत वर्मा ने काव्य पाठ वहीं भोजपुरी भाषा मधुर नजमी, अमरेश कुमार, कमलेश राय, तारकेश्वर मिश्र राही, नुरुल बशर उस्मानी, मनोज भावुक, रमाशंकर श्रीवास्तव, रामप्रकाश शुक्ल निर्मोही, रवीन्द्र श्रीवास्तव जुगानी और हरिराम द्विवेदी ने अपना काव्य पाठ में समाज के नव-निर्माण में योगदान देने के लिए अपनी प्रेरणादायी रचनाओं से काव्य-प्रेमियों का आह्वान किया। खचाखच भरे सभागार में श्रोताओं ने कविता-उत्सव के आयोजन की मुक्तकंठ से प्रशंसा की। श्री अजीत दुबे ने भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की। कार्यक्रम के अंत में मैथिली-भोजपुरी अकादमी, के सचिव प्रो०रवीन्द्रनाथ श्रीवास्तव 'परिचय दास' ने काव्य-रसिकों का आभार प्रकट करते हुए कार्यक्रम संपन्न किया।
साहित्य कियैक लिखल जाव ?
12-03-2011 को राजेंद्र भवन, दिल्ली में महिला विमर्श के रूप में राष्ट्रीय मैथिली संगोष्ठी 'साहित्य कियैक लिखल जाव ?' आयोजित की गई। इसकी अध्यक्षता डॉ० शेफालिका वर्मा ने की। इसमें देश भर से 8 मैथिली लेखिकाऍं आमंत्रित की गयी थीं। सदस्यों में रवींद्र दास उपस्थित थे। सान्निध्य डॉ० गिरीश चंद्र श्रीवास्तव का था।
साहित्य काहें लिखल जाव ?
13-03-2011 को राजेंद्र भवन, दिल्ली में महिला विमर्श के रूप में राष्ट्रीय भोजपुरी संगोष्ठी 'साहित्य काहें लिखल जाव ?' आयोजित की गई। इसकी अध्यक्षता डॉ० अनामिका ने की। इसमें भी देश भर से 8 लेखिकाऍं आमंत्रित की गई थीं।
विसरत रास रंग
18-03-2011 को प्रख्यात नृत्यांगना डॉ० शोभना नारायण का नृत्य कार्यक्रम त्रिवेणी सभागार, नई दिल्ली में विसरत रास रंग के रूप में रखा गया। इसमें विशिष्ट अतिथि कला, संस्कृति, भाषा विभाग, दिल्ली शासन की प्रधान सचिव, श्रीमती रीना रे। उन्होंने इसे एक श्रेष्ठ प्रयास बताते हुए अपना अविस्मरणीय क्षण बताया। उन्होंने कहा कि विलुप्त होती कलाओं को बचाना आवश्यक है। उपाध्यक्ष, मैथिली-भोजपुरी अकादमी डॉ० गिरीश चंद्र श्रीवास्तव व उपाध्यक्ष, हिन्दी अकादमी डॉ० अशोक चक्रधर का सान्निध्य था। तीन सौ लोग थे।
सोनमछरिया (मैथिली नाटक)
एल०टी०जी० सभागार, मण्डी हाउस, दिल्ली में 21-03-2011 को मैथिली कहानी, सोनमछरिया (लेखक- विकास झा) का नाट्य रुपांतर (रुपांतकार : प्रकाश कांत) प्रस्तुत किया। नाट्य निर्देशन संजय चौधरी का था। विशिष्ट अतिथि कला, संस्कृति, भाषा, दिल्ली शासन के संयुक्त सचिव श्री संजीव पाण्डेय थे। इसी दिन 'परिछन' पत्रिका के दूसरे अंक का विमोचन भी हुआ। 500 लोग एपस्थित थे। सान्निध्य गिरीश चंद्र श्रीवास्तव का था।
मेहारारुन के दुर्दशा (भोजपुरी नाटक)
बंग भवन, भाई वीर सिंह मार्ग, नई दिल्ली की 'मुक्तधारा' नाट्यशाला में 22-03-2011 को भोजपुरी नाटक, मेहारारुन के दुर्दशा (लेखक : प्रख्यात साहित्यकार राहुल सांकृत्यायन) प्रस्तुत किया गया। इसके नाट्य निर्देशक महेंद्र सिंह थे। सान्निध्य डॉ० गिरीश चंद्र श्रीवास्तव का था तथा विशिष्ट अतिथि अजीत दुबे थे। लगभग ढाई सौ लोग उपस्थित थे।
विराट् सांस्कृतिक कार्यक्रम
26-03-2011 को विराट् सांस्कृतिक कार्यक्रम, तीन बड़े गायकों का गायन फीरोज शाह कोटला किला, आई०टी०ओ०, नई दिल्ली के सुरम्य वातावरण में प्रस्तुत किया गया। गायक थे- मालिनी अवस्थी, भरत शर्मा व्यास, शब्बीर कुमार। इन्होंने भोजपुरी व मैथिली गायन किया। शब्बीर कुमार ने भोजपुरी के साथ अपने गाए फिल्मों के हिन्दी गीत भी प्रस्तुत किए। लगभग ढाई हजार की संख्या थी। विशिष्ट अतिथि के रूप में भाषा मंत्री डॉ० किरण वालिया थी। सदस्यों में अजीत दुबे तथा गोस्वामी एस०के०पुरी तथा श्री रवींद्र दास मैजूद थे। सान्निध्य डॉ० गिरीश चंद्र श्रीवास्तव का था।
बिदेसिया (15 अक्टूबर, 2011)
भोजपुरी नाटक का आयोजन सुरताल ग्राउण्ड, तालकटोरा स्टेडियम, नई दिल्ली में किया गया। भिखारी ठाकुर के नाटक बिदेसिया का मंचन निर्माण कला मंच, पटना के कलाकारों ने श्री संजय उपाध्याय के निर्देशन में किया।
छुतहा घैल (16 अक्टूबर, 2011)
मैथिली नाटक का आयोजन सुरताल ग्राउण्ड, तालकटोरा स्टेडियम, नई दिल्ली में किया गया। श्री महेन्द्र मलंगिया के नाटक छुतहा घैल का मंचन मिथिलांगन, दिल्ली के कलाकारों ने श्री संजय चौधरी के निेर्देशन में किया।
काव्य पाठ (26 नवम्बर, 2011)
काव्य पाठ का आयोजन त्रिवेणी कला संगम, तानसेन मार्ग, नई दिल्ली में किया गया। जिसमें मैथिली के सुप्रसिद्ध कवयित्री श्रीमती सुधा कर्ण ने मैथिली भाषा में एकल काव्य पाठ किया तथा भोजपुरी के सुप्रसिद्ध कवि परिचय दास ने भोजपुरी भाषा में एकल काव्य पाठ किया।
कथा पाठ (27 नवम्बर, 2011)
कथा पाठ का आयोजन त्रिवेणी कला संगम,, तानसेन मार्ग, नई दिल्ली में किया गया। जिसमें श्री सुरेश कांटक ने भोजपुरी भाषा में कहानी पाठ किया और डॉ0 शेफालिका वर्मा ने मैथिली भाषा में कहानी पाठ किया।
संगोष्ठी : भाषा व समकाल (28 नवम्बर, 2011)
संगोष्ठी : भाषा व समकाल का आयोजन त्रिवेणी कला संगम, तानसेन मार्ग, नई दिल्ली में किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता श्री सुभाष चन्द्र यादव ने की। वक्ता के रूप में श्री अरविन्द कुमार मिश्र एवं श्री राजेन्द्र प्रसाद सिंह पधारे।
संगोष्ठी : साहित्य व समाज (29 नवम्बर, 2011)
संगोष्ठी : साहित्य व समाज का आयोजन त्रिवेणी कला संगम, तानसेन मार्ग, नई दिल्ली में किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रो0 तुलसी राम ने की। वक्ता के रूप में श्री शारदानन्द परिमल एवं श्री जितेन्द्र वर्मा पधारे।
व्याखयान/भेंट : भारत के सांस्कृतिक पुनर्रचना (30 नवम्बर, 2011)
व्याखयान/भेंट : भारत के सांस्कृतिक पुनर्रचना का आयोजन त्रिवेणी कला संगम, तानसेन मार्ग, नई दिल्ली में किया गया। कार्यक्रम में श्री भगवान सिंह ने 'भारत के सांस्कृतिक पुनर्रचना' विषय पर अपना सारगर्भित वक्तव्य प्रस्तुत किया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम (9 दिसम्बर, 2011)
सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन राजेन्द्र नगर, दिल्ली में किया गया। जिसमें भोजपुरी की सुप्रसिद्ध गायिका श्रीमती मालनी अवस्थी ने अपनी प्रस्तुति की।
गणतंत्र दिवस कविता उत्सव (15 जनवरी, 2012)
गणतंत्र दिवस कविता उत्सव का आयोजन श्रीराम भारतीय कला केन्द्र, कॉपरनिक्स मार्ग, नई दिल्ली में किया गया। कार्यक्रम में मुखय अतिथि के रूप प्रो0 किरण वालिया, माननीय भाषा, समाज कल्याण तथा महिला एवं बाल विकास मंत्री, दिल्ली सरकार पधारीं। सान्निध्य अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ0 गिरीश चन्द्र श्रीवास्तव का प्राप्त हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार श्री विवेकानन्द ने की। संचालन सुप्रसिद्ध कवि श्री रवीन्द्र जुगानी ने किया। इस अवसर पर श्री अनिल ओझा 'नीरद', श्री अविनाश, श्री कमलेश राय, श्री तारकेशवर मिश्र राही, श्री मनोज भावुक, श्री रचना योगेश, श्री रमाशंकर श्रीवास्तव, श्री सूर्यनाथ सिंह, श्री ज्ञानेन्द्र कुमार सिंह, श्री अग्निपुष्प , श्री कुमार मनीष अरविन्द, श्री कुमार राधा रमण, श्री मानवर्धन कण्ठ, श्री रवीन्द्र लाल दास, श्री राम लोचन ठाकुर, श्री विनीत उप्पल, डॉ0 शेफालिका वर्मा ने भोजपुरी एवं मैथिली भाषा में काव्य पाठ कर सभी का मन मोह लिया।
7 सितम्बर, 2012 राग रंग सांस्कृतिक कार्यक्रम: मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली ने दिल्ली सरकार द्वारा आयोजित ’राग-रंग’ समारोह के अवसर पर ’सांस्कृतिक कार्यक्रम’ का आयोजन उत्सव पार्क, आई.पी.एक्सटेंशन, पूर्वी दिल्ली में किया गया। जिसमें मैथिली की सुप्रसिद्ध गायिका डॉ0 शारदा सिन्हा एवं भोजपुरी की सुप्रसिद्ध गायिका श्रीमती मालिनी अवस्थी ने अपने गीतों की प्रस्तुति की।
दिल्ली सेलिब्रेट: लोक-उत्सव (12-13 अक्टूबर,12)
12 अक्टूबर, 2012 बिरजू का बिआह (भोजपुरी हास्य नाटक): दिल्ली सेलिब्रेट के अवसर पर मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली द्वारा भोजपुरी हास्य नाटक ’बिरजू का बिआह’ का आयोजन सुरताल ग्राउण्ड, तालकटोरा स्टेडियम, नई दिल्ली में किया गया। मुख्य अतिथि प्रो0 किरण वालिया, भाषा, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास मंत्री, दिल्ली सरकार पधारीं। सान्निध्य डॉ0 गिरीशचन्द्र श्रीवास्तव, उपाध्यक्ष, मैथिली-भोजपुरी अकादमी का प्राप्त हुआ। नाटक की रचना व निर्देशन श्री महेन्द्र प्रसाद सिंह ने की। नाटक का मंच रंगश्री, दिल्ली के कलाकारों द्वारा किया गया।
13 अक्टूबर, 2012 ओरिजनल काम (मैथिली हास्य नाटक): दिल्ली सेलिब्रेट के अवसर पर मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली द्वारा मैथिली हास्य नाटक ’ओरिजनल काम’ का आयोजन सुरताल ग्राउण्ड, तालकटोरा स्टेडियम, नई दिल्ली में किया गया। सान्निध्य डॉ0 गिरीशचन्द्र श्रीवास्तव, उपाध्यक्ष, मैथिली-भोजपुरी अकादमी का प्राप्त हुआ। श्री महेन्द्र मलंगिया के नाटक ओरिजनल काम का मंचन मैलोरंग, दिल्ली के कलाकारों ने श्री प्रकाश झा के निर्देशन में किया
चार दिवसीय संगोष्ठी (3-6 नवम्बर,12)
3 नवम्बर, 2012 मैथिली साहित्य और बाबा यात्री (नागार्जुन): संगोष्ठी का आयोजन कोस्तुभ सभागार, ललित कला अकादमी, दिल्ली में किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता श्री महेन्द्र मलंगिया ने की। वक्ता के रूप में डॉ0 देवशंकर नवीन एवं श्री पधारे। कार्यक्रम का संचालन श्री रमन कुमार सिंह ने किया।
4 नवम्बर, 2012 भोजपुरी साहित्य और रघुवीर नारायण: संगोष्ठी का आयोजन कोस्तुभ सभागार, ललित कला अकादमी, दिल्ली में किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता श्री प्रताप नारायण ने की। वक्ता के रूप में डॉ0 रामनारायण तिवारी एवं डॉ0 प्रमोद तिवारी पधारे। कार्यक्रम का संचालन श्री ओंकारेश्वर पाण्डेय ने किया।
5 नवम्बर, 2012 मैथिली कहानी एवं कविता पाठ: का आयोजन कोस्तुभ सभागार, ललित कला अकादमी, दिल्ली में किया गया। जिसमें कहानी का पाठ श्री श्रीधरम ने किया एवं कविता पाठ श्रीमती विभा रानी ने किया।
6 नवम्बर, 2012 भोजपुरी कहानी एवं कविता पाठ: का आयोजन कोस्तुभ सभागार, ललित कला अकादमी, दिल्ली में किया गया। जिसमे कहानी पाठ डॉ0 आशा रानी लाल ने किया एवं कविता पाठ डॉ0 अशोक द्विवेदी ने किया।
17 दिसम्बर, 2012 सांस्कृतिक कार्यक्रम: का आयोजन नारायण, दिल्ली में किया गया। जिसमें श्री गजाधर ठाकुर एवं साथियों द्वारा गीत एवं नृत्य की प्रस्तुति की गई। मुख्य अतिथि माननीय उद्योग एवं परिवहन मंत्री, दिल्ली सरकार उपस्थित थे। विशिष्ट अतिथि सांसद श्री महाबल मिश्र पधारे। साथ ही स्थानीय विधायक भी उपस्थित थे।
18 दिसम्बर, 2012 सांस्कृतिक कार्यक्रम: का आयोजन लोहा मण्डी, नारायण, दिल्ली में किया गया। जिसमें श्री गुड्डू रंगीला एवं साथियों द्वारा गीत एवं नृत्य की प्रस्तुति की गई। मुख्य अतिथि माननीय उद्योग एवं परिवहन मंत्री, दिल्ली सरकार उपस्थित थे। विशिष्ट अतिथि सांसद श्री महाबल मिश्र पधारे। साथ ही स्थानीय विधायक भी उपस्थित थे।
19 दिसम्बर, 2012 सांस्कृतिक कार्यक्रम: का आयोजन मंगोल पुरी दिल्ली में किया गया। जिसमें श्री अजय अल्बेला तथा सुश्री बिजली रानी एवं उनके साथियों द्वारा गीत एवं नृत्य की प्रस्तुति की गई।
दिल्ली सेलिब्रेट: गणतंत्र दिवस कविता-उत्सव
13 जनवरी, 2013 गणतंत्र दिवस कविता-उत्सव: का आयोजन गणतंत्र दिवस के अवसर पर मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली द्वारा ’गणतत्र दिवस कविता उत्सव’ का आयोजन श्रीराम भारतीय कला केन्द्र, मण्डी हाउस, नई दिल्ली में किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप दिल्ली भाषा, शिक्षा, समाज कल्याण, महिला एवं बाल विकास मंत्री, प्रो0 किरण वालिया पधारीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता मैथिली-हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री कीर्तिनारायण मिश्र ने की। संचालन भोजपुरी के सुप्रसिद्ध गीतकार श्री रवीन्द्रनाथ श्रीवास्तव ’जुगानी’ ने किया। कविता उत्सव में भोजपुरी के डॉ0 अनामिका, श्रीमती अलका सिंहा, श्री कमलेश राय, श्री गोरख प्रसाद ’मस्ताना’ श्री चन्द्रदेव यादव, श्री तारकेश्वर मिश्र ’राही’ श्री मधुर नज्मी, डॉ0 रमाशंकर श्रीवास्तव, डॉ0 शत्रुध्न कुमार श्री हरिराम द्विवेदी एवं मैथिली के श्री कुमार मनीष अरविन्द, श्री कुमार राधा रमण, श्री गंगेश गुंजन, श्री मंजन सुलेमान, श्री रवीन्द्र लाल दास, श्री रामलोचन ठाकुर, डॉ0 शेफालिका वर्मा कवियों ने काव्य पाठ कर सभी को भार विभोर कर दिया।
2 फरवरी, 2013 नारी आ अस्तित्व-एकटा मनोवैज्ञानिक विश्लेषण (महिला मैथिली संगोष्ठी): अकादमी द्वारा महिलाओं की समाज में उपयोगिता को केन्द्र रखते हुए ’नारी आ अस्तित्व-एकटा मनोवैज्ञानिक विश्लेषण’ संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें मैथिली की महिला साहित्यकारों को आमंत्रित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मैथिली की सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ0 शेफालिका वर्मा ने की। सान्निध्य अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ0 गिरीशचन्द्र श्रीवास्तव का प्राप्त हुआ। संचालन सुश्री विनिता मल्लिक ने किया। मुख्य वक्ता के रूप में श्रीमती संजू दास, श्रीमती नूतन दास, श्रीमती भावना नवीन, श्रीमती ललिता झा, श्रीमती सरिता दास एवं श्रीमती स्तुति नारायण ने अपना वक्तव्य प्रस्तुत कर समाज में फैली विसंगिताओं को इंगित किया।
3 फरवरी, 2013 नारी आ अस्तित्व-एगो मनोवैज्ञानिक विश्लेषण (महिला भोजपुरी संगोष्ठी): अकादमी द्वारा महिलाओं की समाज में उपयोगिता को केन्द्र रखते हुए ’नारी आ अस्तित्व-एगो मनोवैज्ञानिक विश्लेषण’ संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें मैथिली की महिला साहित्यकारों को आमंत्रित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता भोजपुरी की सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ0 अल्पना मिश्रा ने की। सान्निध्य अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ0 गिरीशचन्द्र श्रीवास्तव का प्राप्त हुआ। संचालन श्रीमती सांत्वना द्विवेदी ने किया। मुख्य वक्ता के रूप में डॉ0 सुनीता, सुश्री सोनल सिंह, डॉ0 सविता सिंह, डॉ0 विभावरी, डॉ0 विभा सिंह चैहान एवं श्रीमती अल्का सिंह ने अपना वक्तव्य प्रस्तुत कर समाज में फैली विसंगिताओं को इंगित किया।
4-10 फरवरी, 2013 पुस्तक प्रदर्शनी: मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली ने पहली बार ’विश्व पुस्तक मेले’ में अपने प्रकाशनों के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। जिसमें अकादमी ने अपने प्रकाशनों के साथ अन्य गतिविधियों के बारे में भी लोगों को बताया।
17 मार्च, 2013 विराट सांस्कृतिक कार्यक्रम: मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली द्वारा ’विराट सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन फिरोजशाह कोटला किला मैदान में किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन श्रीमती शीला दीक्षित, माननीय मुख्यमंत्री, दिल्ली एवं अध्यक्ष मैथिली-भोजुपरी अकादमी, दिल्ली ने किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो0 किरण वालिया, माननीय भाषा, शिक्षा, समाज कल्याण, महिला एवं बाल विकास मंत्री पधारी। सान्निध्य अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ0 गिरीशचन्द्र श्रीवास्तव का प्राप्त हुआ। कार्यक्रम में भोजपुरी के सुप्रसिद्ध अभिनेता श्री रविकिशन एवं मैथिली के सुप्रसिद्ध गायक श्री मुरलीधर तथा श्री अमिताभ ने अपनी प्रस्तुति से सभी का मनमोह लिया।
18 मार्च, 2013 चित्रकला प्रदर्शनी: मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली द्वारा पूर्वांचल के कलाकारों, मूर्तिकारों , शिल्पकारों के चित्रों की प्रदर्शनी का आयोजन ललित कला अकादमी में किया गया। जिसमें 45 कलाकारों ने भाग लिया। ’चित्रकला प्रदर्शनी’ का उद्घाटन माननीय प्रो0 किरण वालिया, भाषा, शिक्षा, समाज कल्याण, महिला एवं बाल विकास मंत्री द्वारा किया गया। सान्निध्य अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ0 गिरीशचन्द्र श्रीवास्तव का प्राप्त हुआ। वक्ता के रूप में श्री रवीन्द्र त्रिपाठी एवं श्री रवीन्द्र कुमार दास पधारे।
24 मार्च, 2013 सांस्कृतिक कार्यक्रम: मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली द्वारा सफदरजंग एन्क्लेव में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। भोजपुरी की सुप्रसिद्ध गायिका श्रीमती मालिनी अवस्थी द्वारा कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।
मैथिली-भोजपुरी अकादमी
